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भारत की संस्कृति में त्योहार सिर्फ खुशी का कारण नहीं, बल्कि भावनाओं, परंपराओं और रिश्तों को जोड़ने का माध्यम भी हैं। इन्हीं में से एक है दीपों का पर्व – दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है। रोशनी, मिठास और खुशियों का यह पर्व हर दिल को छू लेता है।
अगर आप सोच रहे हैं – 2025 में दीवाली कब है? या इस साल दिवाली कब पड़ रही है, क्या है सही Date, तो यह ब्लॉग आपके लिए है।

2025 में दिवाली कब है? – सही तिथि और मुहूर्त

2025 में दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी।
इस दिन अमावस्या तिथि रहेगी, जो लक्ष्मी पूजन के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त:

कहते हैं, इस समय मां लक्ष्मी के स्वागत में दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है।

दिवाली के 5 दिन का त्योहार – धनतेरस से भाई दूज तक

दिवाली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि 5 दिनों का महापर्व है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। हर दिन का अपना विशेष महत्व और परंपरा होती है।

1. धनतेरस (पहला दिन) – 18 अक्टूबर 2025

  • महत्व: भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा
  • परंपरा: इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, या नई वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है।

2. नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली (दूसरा दिन) – 19 अक्टूबर 2025

  • महत्व: भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध की स्मृति में
  • परंपरा: सुबह तेल स्नान और शाम को दीपदान।

3. लक्ष्मी पूजन / दिवाली (तीसरा दिन) – 20 अक्टूबर 2025

  • महत्व: मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा
  • परंपरा: दीप जलाकर घर-आंगन सजाना, मिठाई बांटना, आतिशबाजी करना।

स्नान-दान की अमावस्या – 21 अक्टूबर 2025

  • महत्व: स्नान, दान और पितरों के लिए तर्पण का विशेष दिन।

4. गोवर्धन पूजा (चौथा दिन) – 22 अक्टूबर 2025

  • महत्व: भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गांव को बचाने की स्मृति
  • परंपरा: अन्नकूट प्रसाद बनाकर मंदिर में चढ़ाना।

5. भाई दूज (पांचवां दिन) – 23 अक्टूबर 2025

  • महत्व: भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव
  • परंपरा: बहनें भाई को तिलक कर दीर्घायु की कामना करती हैं।

दिवाली का धार्मिक महत्व

दिवाली के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं:

दिवाली पूजा विधि (स्टेप-बाय-स्टेप)

  1. घर की सफाई और सजावट – मां लक्ष्मी स्वच्छ स्थान पर वास करती हैं।
  2. पूजन स्थल तैयार करें – एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  3. मूर्ति स्थापना – मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें।
  4. आवश्यक सामग्री:
    • कलश, नारियल, आम के पत्ते
    • फूल, चावल, रोली
    • मिठाई, फल, सूखे मेवे
  5. पूजन क्रम:
    • दीप जलाएं
    • गणेश व लक्ष्मी मंत्रों का जाप
    • आरती करें
    • प्रसाद बांटें

दिवाली के समय ध्यान रखने योग्य बातें

दिवाली शुभकामनाएँ (शेयर करने लायक)

निष्कर्ष

दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि अपने भीतर रिश्तों की मिठास, एक-दूसरे के प्रति प्रेम और समाज में सकारात्मकता फैलाने का अवसर है।
अब जब आप जान गए हैं कि 2025 में दीवाली कब है, क्या है सही Date, तिथि, मुहूर्त, आरती, पूजा विधि, महत्व और शुभकामनाएँ, तो इस बार इसे और भी खास बनाने की तैयारी शुरू कर दें।


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एक बार एक बच्चा दादी से पूछता है… “दादी, 2025 में दिवाली कब है?”
दादी मुस्कुराई और बोली – “बेटा, सिर्फ तारीख नहीं, इसके पीछे है एक रहस्य… और यह कहानी जानने लायक है।


FAQ

2025 में दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन अमावस्या तिथि रहेगी और शाम को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त होगा।

2025 में लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6:38 बजे से रात 8:12 बजे तक है। इस समय मां लक्ष्मी का पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

दिवाली 5 दिनों का त्योहार है, जो इस प्रकार है –

  • धनतेरस – 18 अक्टूबर 2025
  • नरक चतुर्दशी – 19 अक्टूबर 2025
  • लक्ष्मी पूजन (दिवाली) – 20 अक्टूबर 2025
  • स्नान-दान अमावस्या – 21 अक्टूबर 2025
  • गोवर्धन पूजा – 22 अक्टूबर 2025
  • भाई दूज – 23 अक्टूबर 2025

दिवाली भगवान राम के अयोध्या लौटने, मां लक्ष्मी के प्रकट होने और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है।

लक्ष्मी पूजन के लिए घर की सफाई करें, चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं, मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा रखें, दीप जलाएं, मंत्रों का जाप करें, आरती करें और प्रसाद बांटें।

सोना-चांदी, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, कपड़े और घर की सजावट की वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है।

नहीं, यह आपकी इच्छा पर निर्भर है। असली दिवाली का अर्थ है रोशनी और खुशी फैलाना, पटाखों का इस्तेमाल सीमित और सुरक्षित तरीके से करें।

दिवाली को दीपावली, रोशनी का त्योहार, प्रकाश पर्व, और दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।

नहीं, दिवाली जैन, सिख और बौद्ध समुदाय के लिए भी धार्मिक महत्व रखती है। जैन धर्म में यह भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है और सिख धर्म में यह ‘बंदी छोड़ दिवस’ है।

मुख्य रूप से मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, भगवान कुबेर और कई स्थानों पर भगवान विष्णु और सरस्वती माता की भी पूजा की जाती है।

पीला, लाल, हरा और नारंगी रंग दिवाली पर शुभ माने जाते हैं, क्योंकि ये समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक हैं।

झगड़ा या कटु शब्दों का प्रयोग नहीं करें।

घर में गंदगी न रखें।

अमावस्या की रात कर्ज न लें।