भारत की संस्कृति में त्योहार सिर्फ खुशी का कारण नहीं, बल्कि भावनाओं, परंपराओं और रिश्तों को जोड़ने का माध्यम भी हैं। इन्हीं में से एक है दीपों का पर्व – दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है। रोशनी, मिठास और खुशियों का यह पर्व हर दिल को छू लेता है।
अगर आप सोच रहे हैं – 2025 में दीवाली कब है? या इस साल दिवाली कब पड़ रही है, क्या है सही Date, तो यह ब्लॉग आपके लिए है।
2025 में दिवाली कब है? – सही तिथि और मुहूर्त
2025 में दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी।
इस दिन अमावस्या तिथि रहेगी, जो लक्ष्मी पूजन के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त:
- शुभ समय: शाम 6:38 बजे से रात 8:12 बजे तक
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर सुबह 5:10 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर सुबह 6:45 बजे
कहते हैं, इस समय मां लक्ष्मी के स्वागत में दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
दिवाली के 5 दिन का त्योहार – धनतेरस से भाई दूज तक
दिवाली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि 5 दिनों का महापर्व है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। हर दिन का अपना विशेष महत्व और परंपरा होती है।
1. धनतेरस (पहला दिन) – 18 अक्टूबर 2025
- महत्व: भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा
- परंपरा: इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, या नई वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है।
2. नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली (दूसरा दिन) – 19 अक्टूबर 2025
- महत्व: भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध की स्मृति में
- परंपरा: सुबह तेल स्नान और शाम को दीपदान।
3. लक्ष्मी पूजन / दिवाली (तीसरा दिन) – 20 अक्टूबर 2025
- महत्व: मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा
- परंपरा: दीप जलाकर घर-आंगन सजाना, मिठाई बांटना, आतिशबाजी करना।
स्नान-दान की अमावस्या – 21 अक्टूबर 2025
- महत्व: स्नान, दान और पितरों के लिए तर्पण का विशेष दिन।
4. गोवर्धन पूजा (चौथा दिन) – 22 अक्टूबर 2025
- महत्व: भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गांव को बचाने की स्मृति
- परंपरा: अन्नकूट प्रसाद बनाकर मंदिर में चढ़ाना।
5. भाई दूज (पांचवां दिन) – 23 अक्टूबर 2025
- महत्व: भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव
- परंपरा: बहनें भाई को तिलक कर दीर्घायु की कामना करती हैं।
दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं:
- रामायण की कथा: भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के 14 वर्ष के वनवास से लौटने पर अयोध्या में दीप जलाए गए।
- लक्ष्मी पूजन: मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं।
- जैन परंपरा: भगवान महावीर का निर्वाण दिवस।
- सिख इतिहास: गुरु हरगोबिंद जी की कारागार से रिहाई का दिन।
दिवाली पूजा विधि (स्टेप-बाय-स्टेप)
- घर की सफाई और सजावट – मां लक्ष्मी स्वच्छ स्थान पर वास करती हैं।
- पूजन स्थल तैयार करें – एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- मूर्ति स्थापना – मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें।
- आवश्यक सामग्री:
- कलश, नारियल, आम के पत्ते
- फूल, चावल, रोली
- मिठाई, फल, सूखे मेवे
- पूजन क्रम:
- दीप जलाएं
- गणेश व लक्ष्मी मंत्रों का जाप
- आरती करें
- प्रसाद बांटें
दिवाली के समय ध्यान रखने योग्य बातें
- पूजा का समय चूकें नहीं – मुहूर्त में ही लक्ष्मी पूजन करें।
- अनावश्यक खर्च से बचें, बजट में खरीदारी करें।
- पटाखों का इस्तेमाल सोच-समझकर करें – प्रदूषण और सुरक्षा का ध्यान रखें।
- बुजुर्गों और जरूरतमंदों की मदद करें – यही दिवाली का असली सुख है।
दिवाली शुभकामनाएँ (शेयर करने लायक)
- “दीपों का यह पर्व आपके जीवन में खुशियों की रोशनी लाए। शुभ दिवाली!”
- “मां लक्ष्मी की कृपा से आपका घर खुशियों से भर जाए। हैप्पी दीपावली!”
- “अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें, यही है दिवाली का संदेश। शुभ दीपावली!”
निष्कर्ष
दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि अपने भीतर रिश्तों की मिठास, एक-दूसरे के प्रति प्रेम और समाज में सकारात्मकता फैलाने का अवसर है।
अब जब आप जान गए हैं कि 2025 में दीवाली कब है, क्या है सही Date, तिथि, मुहूर्त, आरती, पूजा विधि, महत्व और शुभकामनाएँ, तो इस बार इसे और भी खास बनाने की तैयारी शुरू कर दें।
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